लूक़ा 1

ईसा की पैदाइश की पेशगोई

26-27इलीशिबा छः माह से उम्मीद से थी जब अल्लाह ने जिब्राईल फ़रिश्ते को एक कुंवारी के पास भेजा जो नासरत में रहती थी। नासरत गलील का एक शहर है और कुंवारी का नाम मरियम था। उस की मंगनी एक मर्द के साथ हो चुकी थी जो दाऊद बादशाह की नसल से था और जिस का नाम यूसुफ़ था। 28फ़रिश्ते ने उस के पास आ कर कहा, “ऐ ख़ातून जिस पर रब्ब का ख़ास फ़ज़्ल हुआ है, सलाम! रब्ब तेरे साथ है।”

29मरियम यह सुन कर घबरा गई और सोचा, “यह किस तरह का सलाम है?” 30लेकिन फ़रिश्ते ने अपनी बात जारी रखी और कहा, “ऐ मरियम, मत डर, क्यूँकि तुझ पर अल्लाह का फ़ज़्ल हुआ है। 31तू उम्मीद से हो कर एक बेटे को जन्म देगी। तुझे उस का नाम ईसा (नजात देने वाला) रखना है। 32वह अज़ीम होगा और अल्लाह तआला का फ़र्ज़न्द कहलाएगा। रब्ब हमारा ख़ुदा उसे उस के बाप दाऊद के तख़्त पर बिठाएगा 33और वह हमेशा तक इस्राईल पर हुकूमत करेगा। उस की सल्तनत कभी ख़त्म न होगी।”

34मरियम ने फ़रिश्ते से कहा, “यह क्यूँकर हो सकता है? अभी तो मैं कुंवारी हूँ।”

35फ़रिश्ते ने जवाब दिया, “रूह-उल-क़ुद्स तुझ पर नाज़िल होगा, अल्लाह तआला की क़ुद्रत का साया तुझ पर छा जाएगा। इस लिए यह बच्चा क़ुद्दूस होगा और अल्लाह का फ़र्ज़न्द कहलाएगा। 36और देख, तेरी रिश्तेदार इलीशिबा के भी बेटा होगा हालाँकि वह उम्ररसीदा है। गो उसे बाँझ क़रार दिया गया था, लेकिन वह छः माह से उम्मीद से है। 37क्यूँकि अल्लाह के नज़्दीक कोई काम नामुम्किन नहीं है।”

38मरियम ने जवाब दिया, “मैं रब्ब की ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ। मेरे साथ वैसा ही हो जैसा आप ने कहा है।” इस पर फ़रिश्ता चला गया।

लूक़ा 2

ईसा की पैदाइश

1उन अय्याम में रोम के शहनशाह औगुस्तुस ने फ़रमान जारी किया कि पूरी सल्तनत की मर्दुमशुमारी की जाए। 2यह पहली मर्दुमशुमारी उस वक़्त हुई जब कूरिनियुस शाम का गवर्नर था। 3हर किसी को अपने वतनी शहर में जाना पड़ा ताकि वहाँ रजिस्टर में अपना नाम दर्ज करवाए।

4चुनाँचे यूसुफ़ गलील के शहर नासरत से रवाना हो कर यहूदिया के शहर बैत-लहम पहुँचा। वजह यह थी कि वह दाऊद बादशाह के घराने और नसल से था, और बैत-लहम दाऊद का शहर था। 5चुनाँचे वह अपने नाम को रजिस्टर में दर्ज करवाने के लिए वहाँ गया। उस की मंगेतर मरियम भी साथ थी। उस वक़्त वह उम्मीद से थी। 6जब वह वहाँ ठहरे हुए थे तो बच्चे को जन्म देने का वक़्त आ पहुँचा। 7बेटा पैदा हुआ। यह मरियम का पहला बच्चा था। उस ने उसे कपड़ों [a] लफ़्ज़ी तर्जुमा : पोतड़ों में लपेट कर एक चरनी में लिटा दिया, क्यूँकि उन्हें सराय में रहने की जगह नहीं मिली थी।

चरवाहों को ख़ुशख़बरी

8उस रात कुछ चरवाहे क़रीब के खुले मैदान में अपने रेवड़ों की पहरादारी कर रहे थे। 9अचानक रब्ब का एक फ़रिश्ता उन पर ज़ाहिर हुआ, और उन के इर्दगिर्द रब्ब का जलाल चमका। यह देख कर वह सख़्त डर गए। 10लेकिन फ़रिश्ते ने उन से कहा, “डरो मत! देखो मैं तुम को बड़ी ख़ुशी की ख़बर देता हूँ जो तमाम लोगों के लिए होगी। 11आज ही दाऊद के शहर में तुम्हारे लिए नजातदिहन्दा पैदा हुआ है यानी मसीह ख़ुदावन्द। 12और तुम उसे इस निशान से पहचान लोगे, तुम एक शीरख़्वार बच्चे को कपड़ों में लिपटा हुआ पाओगे। वह चरनी में पड़ा हुआ होगा।”

13अचानक आस्मानी लश्करों के बेशुमार फ़रिश्ते उस फ़रिश्ते के साथ ज़ाहिर हुए जो अल्लाह की हम्द-ओ-सना करके कह रहे थे,

14“आस्मान की बुलन्दियों पर अल्लाह की इज़्ज़त-ओ-जलाल, ज़मीन पर उन लोगों की सलामती जो उसे मन्ज़ूर हैं।”

15फ़रिश्ते उन्हें छोड़ कर आस्मान पर वापस चले गए तो चरवाहे आपस में कहने लगे, “आओ, हम बैत-लहम जा कर यह बात देखें जो हुई है और जो रब्ब ने हम पर ज़ाहिर की है।”

16वह भाग कर बैत-लहम पहुँचे। वहाँ उन्हें मरियम और यूसुफ़ मिले और साथ ही छोटा बच्चा जो चरनी में पड़ा हुआ था। 17यह देख कर उन्हों ने सब कुछ बयान किया जो उन्हें इस बच्चे के बारे में बताया गया था। 18जिस ने भी उन की बात सुनी वह हैरतज़दा हुआ। 19लेकिन मरियम को यह तमाम बातें याद रहीं और वह अपने दिल में उन पर ग़ौर करती रही। 20फिर चरवाहे लौट गए और चलते चलते उन तमाम बातों के लिए अल्लाह की ताज़ीम-ओ-तारीफ़ करते रहे जो उन्हों ने सुनी और देखी थीं, क्यूँकि सब कुछ वैसा ही पाया था जैसा फ़रिश्ते ने उन्हें बताया था।

[a] लफ़्ज़ी तर्जुमा : पोतड़ों