लूक़ा 5
मफ़्लूज के लिए छत खोली जाती है
17एक दिन वह लोगों को तालीम दे रहा था। फ़रीसी और शरीअत के आलिम भी गलील और यहूदिया के हर गाँओ और यरूशलम से आ कर उस के पास बैठे थे। और रब्ब की क़ुद्रत उसे शिफ़ा देने के लिए तहरीक दे रही थी। 18इतने में कुछ आदमी एक मफ़्लूज को चारपाई पर डाल कर वहाँ पहुँचे। उन्हों ने उसे घर के अन्दर ईसा के सामने रखने की कोशिश की, 19लेकिन बेफ़ाइदा। घर में इतने लोग थे कि अन्दर जाना नामुम्किन था। इस लिए वह आख़िरकार छत पर चढ़ गए और कुछ टायलें उधेड़ कर छत का एक हिस्सा खोल दिया। फिर उन्हों ने चारपाई को मफ़्लूज समेत हुजूम के दर्मियान ईसा के सामने उतारा। 20जब ईसा ने उन का ईमान देखा तो उस ने मफ़्लूज से कहा, “ऐ आदमी, तेरे गुनाह मुआफ़ कर दिए गए हैं।”
21यह सुन कर शरीअत के आलिम और फ़रीसी सोच-बिचार में पड़ गए, “यह किस तरह का बन्दा है जो इस क़िस्म का कुफ़्र बकता है? सिर्फ़ अल्लाह ही गुनाह मुआफ़ कर सकता है।”
22लेकिन ईसा ने जान लिया कि यह क्या सोच रहे हैं, इस लिए उस ने पूछा, “तुम दिल में इस तरह की बातें क्यूँ सोच रहे हो? 23क्या मफ़्लूज से यह कहना ज़ियादा आसान है कि ‘तेरे गुनाह मुआफ़ कर दिए गए हैं’ या यह कि ‘उठ कर चल फिर’? 24लेकिन मैं तुम को दिखाता हूँ कि इब्न-ए-आदम को वाक़ई दुनिया में गुनाह मुआफ़ करने का इख़तियार है।” यह कह कर वह मफ़्लूज से मुख़ातिब हुआ, “उठ, अपनी चारपाई उठा कर अपने घर चला जा।”
25लोगों के देखते देखते वह आदमी खड़ा हुआ और अपनी चारपाई उठा कर अल्लाह की हम्द-ओ-सना करते हुए अपने घर चला गया। 26यह देख कर सब सख़्त हैरतज़दा हुए और अल्लाह की तम्जीद करने लगे। उन पर ख़ौफ़ छा गया और वह कह उठे, “आज हम ने नाक़ाबिल-ए-यक़ीन बातें देखी हैं।”