पैदाइश 3
14रब्ब ख़ुदा ने साँप से कहा, “चूँकि तू ने यह किया, इस लिए तू तमाम मवेशियों और जंगली जानवरों में लानती है। तू उम्र भर पेट के बल रेंगेगा और ख़ाक चाटेगा। 15मैं तेरे और औरत के दर्मियान दुश्मनी पैदा करूँगा। उस की औलाद तेरी औलाद की दुश्मन होगी। वह तेरे सर को कुचल डालेगी जबकि तू उस की एड़ी पर काटेगा।”
16फिर रब्ब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तक्लीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो तू शदीद दर्द का शिकार होगी। तू अपने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ पर हुकूमत करेगा।” 17आदम से उस ने कहा, “तू ने अपनी बीवी की बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिसे खाने से मैं ने मना किया था। इस लिए तेरे सबब से ज़मीन पर लानत है। उस से ख़ुराक हासिल करने के लिए तुझे उम्र भर मेहनत-मशक़्क़त करनी पड़ेगी। 18तेरे लिए वह ख़ारदार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करेगी, हालाँकि तू उस से अपनी ख़ुराक भी हासिल करेगा। 19पसीना बहा बहा कर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्यूँकि तू उसी से लिया गया है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।”
20आदम ने अपनी बीवी का नाम हव्वा यानी ज़िन्दगी रखा, क्यूँकि बाद में वह तमाम ज़िन्दों की माँ बन गई। 21रब्ब ख़ुदा ने आदम और उस की बीवी के लिए खालों से लिबास बना कर उन्हें पहनाया। 22उस ने कहा, “इन्सान हमारी मानिन्द हो गया है, वह अच्छे और बुरे का इल्म रखता है। अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ा कर ज़िन्दगी बख़्शने वाले दरख़्त के फल से ले और उस से खा कर हमेशा तक ज़िन्दा रहे।” 23इस लिए रब्ब ख़ुदा ने उसे बाग़-ए-अदन से निकाल कर उस ज़मीन की खेतीबाड़ी करने की ज़िम्मादारी दी जिस में से उसे लिया गया था। 24इन्सान को ख़ारिज करने के बाद उस ने बाग़-ए-अदन के मशरिक़ में करूबी फ़रिश्ते खड़े किए और साथ साथ एक आतिशी तल्वार रखी जो इधर उधर घूमती थी ताकि उस रास्ते की हिफ़ाज़त करे जो ज़िन्दगी बख़्शने वाले दरख़्त तक पहुँचाता था।