ख़ुरूज 15
मूसा का गीत
1तब मूसा और इस्राईलियों ने रब्ब के लिए यह गीत गाया,
“मैं रब्ब की तम्जीद में गीत गाऊँगा, क्यूँकि वह निहायत अज़ीम है। घोड़े और उस के सवार को उस ने समुन्दर में पटख़ दिया है।
2रब्ब मेरी क़ुव्वत और मेरा गीत है, वह मेरी नजात बन गया है। वही मेरा ख़ुदा है, और मैं उस की तारीफ़ करूँगा। वही मेरे बाप का ख़ुदा है, और मैं उस की ताज़ीम करूँगा।
3रब्ब सूर्मा है, रब्ब उस का नाम है।
4फ़िरऔन के रथों और फ़ौज को उस ने समुन्दर में पटख़ दिया तो बादशाह के बेहतरीन अफ़्सरान बहर-ए-क़ुल्ज़ुम में डूब गए।
5गहरे पानी ने उन्हें ढाँक लिया, और वह पत्थर की तरह समुन्दर की तह तक उतर गए।
6ऐ रब्ब, तेरे दहने हाथ का जलाल बड़ी क़ुद्रत से ज़ाहिर होता है। ऐ रब्ब, तेरा दहना हाथ दुश्मन को चिकना-चूर कर देता है।
7जो तेरे ख़िलाफ़ उठ खड़े होते हैं उन्हें तू अपनी अज़्मत का इज़्हार करके ज़मीन पर पटख़ देता है। तेरा ग़ज़ब उन पर आन पड़ता है तो वह आग में भूसे की तरह जल जाते हैं।
8तू ने ग़ुस्से में आ कर फूँक मारी तो पानी ढेर की सूरत में जमा हो गया। बहता पानी ठोस दीवार बन गया, समुन्दर गहराई तक जम गया।
9दुश्मन ने डींग मार कर कहा, ‘मैं उन का पीछा करके उन्हें पकड़ लूँगा, मैं उन का लूटा हुआ माल तक़्सीम करूँगा। मेरी लालची जान उन से सेर हो जाएगी, मैं अपनी तल्वार खैंच कर उन्हें हलाक करूँगा।’
10लेकिन तू ने उन पर फूँक मारी तो समुन्दर ने उन्हें ढाँक लिया, और वह सीसे की तरह ज़ोरदार मौजों में डूब गए।
11ऐ रब्ब, कौन सा माबूद तेरी मानिन्द है? कौन तेरी तरह जलाली और क़ुद्दूस है? कौन तेरी तरह हैरतअंगेज़ काम करता और अज़ीम मोजिज़े दिखाता है? कोई भी नहीं।
12तू ने अपना दहना हाथ उठाया तो ज़मीन हमारे दुश्मनों को निगल गई।
13अपनी शफ़्क़त से तू ने इवज़ाना दे कर अपनी क़ौम को छुटकारा दिया और उस की राहनुमाई की है, अपनी क़ुद्रत से तू ने उसे अपनी मुक़द्दस सुकूनतगाह तक पहुँचाया है।
14यह सुन कर दीगर क़ौमें काँप उठें, फ़िलिस्ती डर के मारे पेच-ओ-ताब खाने लगे।
15अदोम के रईस सहम गए, मोआब के राहनुमा पर कपकपी तारी हो गई, और कनआन के तमाम बाशिन्दे हिम्मत हार गए।
16दह्शत और ख़ौफ़ उन पर छा गया। तेरी अज़ीम क़ुद्रत के बाइस वह पत्थर की तरह जम गए। ऐ रब्ब, वह न हिले जब तक तेरी क़ौम गुज़र न गई। वह बेहिस्स-ओ-हर्कत रहे जब तक तेरी ख़रीदी हुई क़ौम गुज़र न गई।
17ऐ रब्ब, तू अपने लोगों को ले कर पौदों की तरह अपने मौरूसी पहाड़ पर लगाएगा, उस जगह पर जो तू ने अपनी सुकूनत के लिए चुन ली है, जहाँ तू ने अपने हाथों से अपना मक़्दिस तय्यार किया है।
18रब्ब अबद तक बादशाह है!”
19जब फ़िरऔन के घोड़े, रथ और घुड़सवार समुन्दर में चले गए तो रब्ब ने उन्हें समुन्दर के पानी से ढाँक लिया। लेकिन इस्राईली ख़ुश्क ज़मीन पर समुन्दर में से गुज़र गए। 20तब हारून की बहन मरियम जो नबिया थी ने दफ़ लिया, और बाक़ी तमाम औरतें भी दफ़ ले कर उस के पीछे हो लीं। सब गाने और नाचने लगीं। मरियम ने यह गा कर उन की राहनुमाई की,
21“रब्ब की तम्जीद में गीत गाओ, क्यूँकि वह निहायत अज़ीम है। घोड़े और उस के सवार को उस ने समुन्दर में पटख़ दिया है।”
मारा और एलीम के चश्मे
22मूसा के कहने पर इस्राईली बहर-ए-क़ुल्ज़ुम से रवाना हो कर दश्त-ए-शूर में चले गए। वहाँ वह तीन दिन तक सफ़र करते रहे। इस दौरान उन्हें पानी न मिला। 23आख़िरकार वह मारा पहुँचे जहाँ पानी दस्तयाब था। लेकिन वह कड़वा था, इस लिए मक़ाम का नाम मारा यानी कड़वाहट पड़ गया। 24यह देख कर लोग मूसा के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ा कर कहने लगे, “हम क्या पिएँ?” 25मूसा ने मदद के लिए रब्ब से इल्तिजा की तो उस ने उसे लकड़ी का एक टुकड़ा दिखाया। जब मूसा ने यह लकड़ी पानी में डाली तो पानी की कड़वाहट ख़त्म हो गई।
मारा में रब्ब ने अपनी क़ौम को क़वानीन दिए। वहाँ उस ने उन्हें आज़्माया भी। 26उस ने कहा, “ग़ौर से रब्ब अपने ख़ुदा की आवाज़ सुनो! जो कुछ उस की नज़र में दुरुस्त है वही करो। उस के अह्काम पर ध्यान दो और उस की तमाम हिदायात पर अमल करो। फिर मैं तुम पर वह बीमारियाँ नहीं लाऊँगा जो मिस्रियों पर लाया था, क्यूँकि मैं रब्ब हूँ जो तुझे शिफ़ा देता हूँ।” 27फिर इस्राईली रवाना हो कर एलीम पहुँचे जहाँ 12 चश्मे और खजूर के 70 दरख़्त थे। वहाँ उन्हों ने पानी के क़रीब अपने ख़ैमे लगाए।