ख़ुरूज 29
इमामों की मख़्सूसियत
1इमामों को मक़्दिस में मेरी ख़िदमत के लिए मख़्सूस करने का यह तरीक़ा है :
एक जवान बैल और दो बेऐब मेंढे चुन लेना। 2बेहतरीन मैदे से तीन क़िस्म की चीज़ें पकाना जिन में ख़मीर न हो। पहले, सादा रोटी। दूसरे, रोटी जिस में तेल डाला गया हो। तीसरे, रोटी जिस पर तेल लगाया गया हो। 3यह चीज़ें टोकरी में रख कर जवान बैल और दो मेंढों के साथ रब्ब को पेश करना। 4फिर हारून और उस के बेटों को मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर ला कर ग़ुसल कराना। 5इस के बाद ज़ेरजामा, चोग़ा, बालापोश और सीने का कीसा ले कर हारून को पहनाना। बालापोश को उस के महारत से बुने हुए पटके के ज़रीए बाँधना। 6उस के सर पर पगड़ी बाँध कर उस पर सोने की मुक़द्दस तख़्ती लगाना। 7हारून के सर पर मसह का तेल उंडेल कर उसे मसह करना।
8फिर उस के बेटों को आगे ला कर ज़ेरजामा पहनाना। 9उन के पगड़ियाँ और कमरबन्द बाँधना। यूँ तू हारून और उस के बेटों को उन के मन्सब पर मुक़र्रर करना। सिर्फ़ वह और उन की औलाद हमेशा तक मक़्दिस में मेरी ख़िदमत करते रहें।
10बैल को मुलाक़ात के ख़ैमे के सामने लाना। हारून और उस के बेटे उस के सर पर अपने हाथ रखें। 11उसे ख़ैमे के दरवाज़े के सामने रब्ब के हुज़ूर ज़बह करना। 12बैल के ख़ून में से कुछ ले कर अपनी उंगली से क़ुर्बानगाह के सींगों पर लगाना और बाक़ी ख़ून क़ुर्बानगाह के पाए पर उंडेल देना। 13अंतड़ियों पर की तमाम चर्बी, जोड़कलेजी और दोनों गुर्दे उन की चर्बी समेत ले कर क़ुर्बानगाह पर जला देना। 14लेकिन बैल के गोश्त, खाल और अंतड़ियों के गोबर को ख़ैमागाह के बाहर जला देना। यह गुनाह की क़ुर्बानी है।
15इस के बाद पहले मेंढे को ले आना। हारून और उस के बेटे अपने हाथ मेंढे के सर पर रखें। 16उसे ज़बह करके उस का ख़ून क़ुर्बानगाह के चार पहलूओं पर छिड़कना। 17मेंढे को टुकड़े टुकड़े करके उस की अंतड़ियों और पिंडलियों को धोना। फिर उन्हें सर और बाक़ी टुकड़ों के साथ मिला कर 18पूरे मेंढे को क़ुर्बानगाह पर जला देना। जलने वाली यह क़ुर्बानी रब्ब के लिए भस्म होने वाली क़ुर्बानी है, और उस की ख़ुश्बू रब्ब को पसन्द है।
19अब दूसरे मेंढे को ले आना। हारून और उस के बेटे अपने हाथ मेंढे के सर पर रखें। 20उस को ज़बह करना। उस के ख़ून में से कुछ ले कर हारून और उस के बेटों के दहने कान की लौ पर लगाना। इसी तरह ख़ून को उन के दहने हाथ और दहने पाँओ के अंगूठों पर भी लगाना। बाक़ी ख़ून क़ुर्बानगाह के चार पहलूओं पर छिड़कना। 21जो ख़ून क़ुर्बानगाह पर पड़ा है उस में से कुछ ले कर और मसह के तेल के साथ मिला कर हारून और उस के कपड़ों पर छिड़कना। इसी तरह उस के बेटों और उन के कपड़ों पर भी छिड़कना। यूँ वह और उस के बेटे ख़िदमत के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस हो जाएँगे।
22इस मेंढे का ख़ास मक़्सद यह है कि हारून और उस के बेटों को मक़्दिस में ख़िदमत करने का इख़तियार और उह्दा दिया जाए। मेंढे की चर्बी, दुम, अंतड़ियों पर की सारी चर्बी, जोड़कलेजी, दोनों गुर्दे उन की चर्बी समेत और दहनी रान अलग करनी है। 23उस टोकरी में से जो रब्ब के हुज़ूर यानी ख़ैमे के दरवाज़े पर पड़ी है एक सादा रोटी, एक रोटी जिस में तेल डाला गया हो और एक रोटी जिस पर तेल लगाया गया हो निकालना। 24मेंढे से अलग की गई चीज़ें और बेख़मीरी रोटी की टोकरी की यह चीज़ें ले कर हारून और उस के बेटों के हाथों में देना, और वह उन्हें हिलाने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब के सामने हिलाएँ। 25फिर यह चीज़ें उन से वापस ले कर भस्म होने वाली क़ुर्बानी के साथ क़ुर्बानगाह पर जला देना। यह रब्ब के लिए जलने वाली क़ुर्बानी है, और उस की ख़ुश्बू रब्ब को पसन्द है।
26अब उस मेंढे का सीना लेना जिस की मारिफ़त हारून को इमाम-ए-आज़म का इख़तियार दिया जाता है। सीने को भी हिलाने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब के सामने हिलाना। यह सीना क़ुर्बानी का तेरा हिस्सा होगा। 27यूँ तुझे हारून और उस के बेटों की मख़्सूसियत के लिए मुस्तामल मेंढे के टुकड़े मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस करने हैं। उस के सीने को रब्ब के सामने हिलाने वाली क़ुर्बानी के तौर पर हिलाया जाए और उस की रान को उठाने वाली क़ुर्बानी के तौर पर उठाया जाए। 28हारून और उस की औलाद को इस्राईलियों की तरफ़ से हमेशा तक यह मिलने का हक़ है। जब भी इस्राईली रब्ब को अपनी सलामती की क़ुर्बानियाँ पेश करें तो इमामों को यह दो टुकड़े मिलेंगे।
29जब हारून फ़ौत हो जाएगा तो उस के मुक़द्दस लिबास उस की औलाद में से उस मर्द को देने हैं जिसे मसह करके हारून की जगह मुक़र्रर किया जाएगा। 30जो बेटा उस की जगह मुक़र्रर किया जाएगा और मक़्दिस में ख़िदमत करने के लिए मुलाक़ात के ख़ैमे में आएगा वह यह लिबास सात दिन तक पहने रहे।
31जो मेंढा हारून और उस के बेटों की मख़्सूसियत के लिए ज़बह किया गया है उसे मुक़द्दस जगह पर उबालना है। 32फिर हारून और उस के बेटे मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर मेंढे का गोश्त और टोकरी की बेख़मीरी रोटियाँ खाएँ। 33वह यह चीज़ें खाएँ जिन से उन्हें गुनाहों का कफ़्फ़ारा और इमाम का उह्दा मिला है। लेकिन कोई और यह न खाए, क्यूँकि यह मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस हैं। 34और अगर अगली सुब्ह तक इस गोश्त या रोटी में से कुछ बच जाए तो उसे जलाया जाए। उसे खाना मना है, क्यूँकि वह मुक़द्दस है।
35जब तू हारून और उस के बेटों को इमाम मुक़र्रर करेगा तो ऐन मेरी हिदायत पर अमल करना। यह तक़्रीब सात दिन तक मनाई जाए। 36इस के दौरान गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर रोज़ाना एक जवान बैल ज़बह करना। इस से तू क़ुर्बानगाह का कफ़्फ़ारा दे कर उसे हर तरह की नापाकी से पाक करेगा। इस के इलावा उस पर मसह का तेल उंडेलना। इस से वह मेरे लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस हो जाएगा। 37सात दिन तक क़ुर्बानगाह का कफ़्फ़ारा दे कर उसे पाक-साफ़ करना और उसे तेल से मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस करना। फिर क़ुर्बानगाह निहायत मुक़द्दस होगी। जो भी उसे छुएगा वह भी मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस हो जाएगा।
रोज़मर्रा की क़ुर्बानियाँ
38रोज़ाना एक एक साल के दो भेड़ के नर बच्चे क़ुर्बानगाह पर जला देना, 39एक को सुब्ह के वक़्त, दूसरे को सूरज के ग़ुरूब होने के ऐन बाद। 40पहले जानवर के साथ डेढ़ किलोग्राम बेहतरीन मैदा पेश किया जाए जो कूटे हुए ज़ैतूनों के एक लिटर तेल के साथ मिलाया गया हो। मै की नज़र के तौर पर एक लिटर मै भी क़ुर्बानगाह पर उंडेलना। 41दूसरे जानवर के साथ भी ग़ल्ला और मै की यह दो नज़रें पेश की जाएँ। ऐसी क़ुर्बानी की ख़ुश्बू रब्ब को पसन्द है।
42लाज़िम है कि आने वाली तमाम नसलें भस्म होने वाली यह क़ुर्बानी बाक़ाइदगी से मुक़द्दस ख़ैमे के दरवाज़े पर रब्ब के हुज़ूर चढ़ाएँ। वहाँ मैं तुम से मिला करूँगा और तुम से हमकलाम हूँगा। 43वहाँ मैं इस्राईलियों से भी मिला करूँगा, और वह जगह मेरे जलाल से मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस हो जाएगी। 44यूँ मैं मुलाक़ात के ख़ैमे और क़ुर्बानगाह को मख़्सूस करूँगा और हारून और उस के बेटों को मख़्सूस करूँगा ताकि वह इमामों की हैसियत से मेरी ख़िदमत करें।
45तब मैं इस्राईलियों के दर्मियान रहूँगा और उन का ख़ुदा हूँगा। 46वह जान लेंगे कि मैं रब्ब उन का ख़ुदा हूँ, कि मैं उन्हें मिस्र से निकाल लाया ताकि उन के दर्मियान सुकूनत करूँ। मैं रब्ब उन का ख़ुदा हूँ।