हज्जी 1
रब्ब के घर को दुबारा बनाने का हुक्म
1फ़ार्स के बादशाह दारा की हुकूमत के दूसरे साल में हज्जी नबी पर रब्ब का कलाम नाज़िल हुआ। छटे महीने का पहला दिन [a] 29 अगस्त। था। कलाम में अल्लाह यहूदाह के गवर्नर ज़रुब्बाबल बिन सियाल्तीएल और इमाम-ए-आज़म यशूअ बिन यहूसदक़ से मुख़ातिब हुआ।
2-3 रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है, “यह क़ौम कहती है, ‘अभी रब्ब के घर को दुबारा तामीर करने का वक़्त नहीं आया।’ 4क्या यह ठीक है कि तुम ख़ुद लकड़ी से सजे हुए घरों में रहते हो जबकि मेरा घर अब तक मल्बे का ढेर है?” 5रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है, “अपने हाल पर ग़ौर करो। 6तुम ने बहुत बीज बोया लेकिन कम फ़सल काटी है। तुम खाना तो खाते हो लेकिन भूके रहते हो, पानी तो पीते हो लेकिन पियासे रहते हो, कपड़े तो पहनते हो लेकिन सर्दी लगती है। और जब कोई पैसे कमा कर उन्हें अपने बटवे में डालता है तो उस में सूराख़ हैं।”
7रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है, “अपने हाल पर ध्यान दे कर उस का सहीह नतीजा निकालो! 8पहाड़ों पर चढ़ कर लकड़ी ले आओ और रब्ब के घर की तामीर शुरू करो। ऐसा ही रवय्या मुझे पसन्द होगा, और इस तरह ही तुम मुझे जलाल दोगे।” यह रब्ब का फ़रमान है। 9“देखो, तुम ने बहुत बर्कत पाने की तवक़्क़ो की, लेकिन क्या हुआ? कम ही हासिल हुआ। और जो कुछ तुम अपने घर वापस लाए उसे मैं ने हवा में उड़ा दिया। क्यूँ? मैं, रब्ब-उल-अफ़्वाज तुम्हें इस की असल वजह बताता हूँ। मेरा घर अब तक मल्बे का ढेर है जबकि तुम में से हर एक अपना अपना घर मज़्बूत करने के लिए भाग-दौड़ कर रहा है। 10इसी लिए आस्मान ने तुम्हें ओस से और ज़मीन ने तुम्हें फ़सलों से महरूम कर रखा है। 11इसी लिए मैं ने हुक्म दिया कि खेतों में और पहाड़ों पर काल पड़े, कि मुल्क का अनाज, अंगूर, ज़ैतून बल्कि ज़मीन की हर पैदावार उस की लपेट में आ जाए। इन्सान-ओ-हैवान उस की ज़द में आ गए हैं, और तुम्हारी मेहनत-मशक़्क़त ज़ाए हो रही है।”
12तब ज़रुब्बाबल बिन सियाल्तीएल, इमाम-ए-आज़म यशूअ बिन यहूसदक़ और क़ौम के पूरे बचे हुए हिस्से ने रब्ब अपने ख़ुदा की सुनी। जो भी बात रब्ब उन के ख़ुदा ने हज्जी नबी को सुनाने को कहा था उसे उन्हों ने मान लिया। रब्ब का ख़ौफ़ पूरी क़ौम पर तारी हुआ। 13तब रब्ब ने अपने पैग़म्बर हज्जी की मारिफ़त उन्हें यह पैग़ाम दिया, “रब्ब फ़रमाता है, मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
14-15 यूँ रब्ब ने यहूदाह के गवर्नर ज़रुब्बाबल बिन सियाल्तीएल, इमाम-ए-आज़म यशूअ बिन यहूसदक़ और क़ौम के बचे हुए हिस्से को रब्ब के घर की तामीर करने की तहरीक दी। दारा बादशाह की हुकूमत के दूसरे साल में वह आ कर रब्ब-उल-अफ़्वाज अपने ख़ुदा के घर पर काम करने लगे। छटे महीने का 24वाँ दिन [b] 21 सितम्बर। था।