होसेअ 12
सरकशी की राम कहानी
1इस्राईल हवा चरने की कोशिश कर रहा है, पूरा दिन वह मशरिक़ी लू के पीछे भागता रहता है। उस के झूट और ज़ुल्म में इज़ाफ़ा होता जा रहा है। असूर से अह्द बाँधने के साथ साथ वह मिस्र को भी ज़ैतून का तेल भेज देता है।
2रब्ब अदालत में यहूदाह से भी लड़ेगा। वह याक़ूब [a] याक़ूब से मुराद इस्राईल है। को उस के चाल-चलन की सज़ा, उस के आमाल का मुनासिब अज्र देगा। 3क्यूँकि माँ के पेट में ही उस ने अपने भाई की एड़ी पकड़ कर उसे धोका दिया। जब बालिग़ हुआ तो अल्लाह से लड़ा 4बल्कि फ़रिश्ते से लड़ते लड़ते उस पर ग़ालिब आया। फिर उस ने रोते रोते उस से इल्तिजा की कि मुझ पर रहम कर। बाद में याक़ूब ने अल्लाह को बैत-एल में पाया, और वहाँ ख़ुदा उस से हमकलाम हुआ। 5रब्ब जो लश्करों का ख़ुदा है और जिस का नाम रब्ब ही है, उस ने फ़रमाया, 6“अपने ख़ुदा के पास वापस आ कर रहम और इन्साफ़ क़ाइम रख! कभी अपने ख़ुदा पर उम्मीद रखने से बाज़ न आ।”
7इस्राईल ताजिर है जिस के हाथ में ग़लत तराज़ू है और जिसे लोगों से नाजाइज़ फ़ाइदा उठाने का बड़ा शौक़ है। 8वह कहता है, “मैं अमीर हो गया हूँ, मैं ने कस्रत की दौलत पाई है। कोई साबित नहीं कर सकेगा कि मुझ से यह तमाम मिल्कियत हासिल करने में कोई क़ुसूर या गुनाह सरज़द हुआ है।”
9“लेकिन मैं, रब्ब जो मिस्र से तुझे निकालते वक़्त आज तक तेरा ख़ुदा हूँ मैं यह नज़रअन्दाज़ नहीं करूँगा। मैं तुझे दुबारा ख़ैमों में बसने दूँगा। यूँ होगा जिस तरह उन पहले दिनों में हुआ जब इस्राईली मेरी परस्तिश करने के लिए रेगिस्तान में जमा होते थे। 10मैं बार बार नबियों की मारिफ़त तुम से हमकलाम हुआ, मैं ने उन्हें मुतअद्दिद रोयाएँ दिखाईं और उन के ज़रीए तुम्हें तम्सीलें सुनाईं।”
बुतपरस्ती का अज्र ज़वाल है
11क्या जिलिआद बेदीन है? उस के लोग नाकारा ही हैं! जिल्जाल में लोगों ने साँड क़ुर्बान किए हैं, इस लिए उन की क़ुर्बानगाहें मल्बे के ढेर बन जाएँगी। वह बीज बोने के लिए तय्यारशुदा खेत के किनारे पर लगे पत्थर के ढेर जैसी बनेंगी।
12याक़ूब को भाग कर मुल्क-ए-अराम में पनाह लेनी पड़ी। वहाँ वह बीवी मिलने के लिए मुलाज़िम बन गया, औरत के बाइस उस ने भेड़-बक्रियों की गल्लाबानी की। 13लेकिन बाद में रब्ब नबी की मारिफ़त इस्राईल को मिस्र से निकाल लाया और नबी के ज़रीए उस की गल्लाबानी की। 14तो भी इस्राईल ने उसे बड़ा तैश दिलाया। अब उन्हें उन की क़त्ल-ओ-ग़ारत का अज्र भुगतना पड़ेगा। उन्हों ने अपने आक़ा की तौहीन की है, और अब वह उन्हें मुनासिब सज़ा देगा।