यशायाह 31
मिस्र की मदद बेकार है
1उन पर अफ़्सोस जो मदद के लिए मिस्र जाते हैं। उन की पूरी उम्मीद घोड़ों से है, और वह अपने मुतअद्दिद रथों और ताक़तवर घुड़सवारों पर एतिमाद रखते हैं। अफ़्सोस, न वह इस्राईल के क़ुद्दूस की तरफ़ नज़र उठाते, न रब्ब की मर्ज़ी दरयाफ़्त करते हैं। 2लेकिन अल्लाह भी दाना है। वह तुम पर आफ़त लाएगा और अपना फ़रमान मन्सूख़ नहीं करेगा बल्कि शरीरों के घर और उन के मुआविनों के ख़िलाफ़ उठ खड़ा होगा। 3मिस्री तो ख़ुदा नहीं बल्कि इन्सान हैं। और उन के घोड़े आलम-ए-अर्वाह के नहीं बल्कि फ़ानी दुनिया के हैं। जहाँ भी रब्ब अपना हाथ बढ़ाए वहाँ मदद करने वाले मदद मिलने वालों समेत ठोकर खा कर गिर जाते हैं, सब मिल कर हलाक हो जाते हैं।
4रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ, “सिय्यून पर उतरते वक़्त मैं उस जवान शेरबबर की तरह हूँगा जो बक्री मार कर उस के ऊपर खड़ा ग़ुर्राता है। गो मुतअद्दिद गल्लाबानों को उसे भगाने के लिए बुलाया जाए तो भी वह उन की चीख़ों से दह्शत नहीं खाता, न उन के शोर-शराबा से डर कर दबक जाता है। रब्ब-उल-अफ़्वाज इसी तरह ही कोह-ए-सिय्यून पर उतर कर लड़ेगा। 5रब्ब-उल-अफ़्वाज पर फैलाए हुए परिन्दे की तरह यरूशलम को पनाह देगा, वह उसे मह्फ़ूज़ रख कर छुटकारा देगा, उसे सज़ा देने के बजाय रिहा करेगा।”
6ऐ इस्राईलियो, जिस से तुम सरकश हो कर इतने दूर हो गए हो उस के पास वापस आ जाओ। 7अब तक तुम अपने हाथों से बने हुए सोने-चाँदी के बुतों की पूजा करते हो, अब तक तुम इस गुनाह में मुलव्वस हो। लेकिन वह दिन आने वाला है जब हर एक अपने बुतों को रद्द करेगा।
8“असूर तल्वार की ज़द में आ कर गिर जाएगा। लेकिन यह किसी मर्द की तल्वार नहीं होगी। जो तल्वार असूर को खा जाएगी वह फ़ानी इन्सान की नहीं होगी। असूर तल्वार के आगे आगे भागेगा, और उस के जवानों को बेगार में काम करना पड़ेगा। 9उस की चटान डर के मारे जाती रहेगी, उस के अफ़्सर लश्करी झंडे को देख कर दह्शत खाएँगे।” यह रब्ब का फ़रमान है जिस की आग सिय्यून में भड़कती और जिस का तनूर यरूशलम में तपता है।