यशायाह 53
1लेकिन कौन हमारे पैग़ाम पर ईमान लाया? और रब्ब की क़ुद्रत किस पर ज़ाहिर हुई? 2उस के सामने वह कोंपल की तरह फूट निकला, उस ताज़ा और मुलाइम शिगूफे की तरह जो ख़ुश्क ज़मीन में छुपी हुई जड़ से निकल कर फलने फूलने लगती है। न वह ख़ूबसूरत था, न शानदार। हम ने उसे देखा तो उस की शक्ल-ओ-सूरत में कुछ नहीं था जो हमें पसन्द आता। 3उसे हक़ीर और मर्दूद समझा जाता था। दुख और बीमारियाँ उस की साथी रहें, और लोग यहाँ तक उस की तह्क़ीर करते थे कि उसे देख कर अपना मुँह फेर लेते थे। हम उस की कुछ क़दर नहीं करते थे।
4लेकिन उस ने हमारी ही बीमारियाँ उठा लीं, हमारा ही दुख भुगत लिया। तो भी हम समझे कि यह उस की मुनासिब सज़ा है, कि अल्लाह ने ख़ुद उसे मार कर ख़ाक में मिला दिया है। 5लेकिन उसे हमारे ही जराइम के सबब से छेदा गया, हमारे ही गुनाहों की ख़ातिर कुचला गया। उसे सज़ा मिली ताकि हमें सलामती हासिल हो, और उसी के ज़ख़्मों से हमें शिफ़ा मिली। 6हम सब भेड़-बक्रियों की तरह आवारा फिर रहे थे, हर एक ने अपनी अपनी राह इख़तियार की। लेकिन रब्ब ने उसे हम सब के क़ुसूर का निशाना बनाया।
7उस पर ज़ुल्म हुआ, लेकिन उस ने सब कुछ बर्दाश्त किया और अपना मुँह न खोला, उस भेड़ की तरह जिसे ज़बह करने के लिए ले जाते हैं। जिस तरह लेला बाल कतरने वालों के सामने ख़ामोश रहता है उसी तरह उस ने अपना मुँह न खोला। 8उसे ज़ुल्म और अदालत के हाथ से छीन लिया गया। अब कौन उस की नसल का ख़याल करेगा? क्यूँकि उस का ज़िन्दों के मुल्क से ताल्लुक़ कट गया है। अपनी क़ौम के जुर्म के सबब से वह सज़ा का निशाना बन गया। 9मुक़र्रर यह हुआ कि उस की क़ब्र बेदीनों के पास हो, कि वह मरते वक़्त एक अमीर के पास दफ़नाया जाए, गो न उस ने तशद्दुद किया, न उस के मुँह में फ़रेब था।
10लेकिन रब्ब ही की मर्ज़ी थी कि उसे कुचला जाए। उसी ने उसे दुख का निशाना बनाया। और गो रब्ब उस की जान के ज़रीए कफ़्फ़ारा देगा तो भी वह अपने फ़र्ज़न्दों को देखेगा। रब्ब उस के दिनों में इज़ाफ़ा करेगा, और वह रब्ब की मर्ज़ी को पूरा करने में काम्याब होगा। 11इतनी तक्लीफ़ बर्दाश्त करने के बाद उसे फल नज़र आएगा, और वह सेर हो जाएगा। अपने इल्म से मेरा रास्त ख़ादिम बहुतों का इन्साफ़ क़ाइम करेगा, क्यूँकि वह उन के गुनाहों को अपने ऊपर उठा कर दूर कर देगा।
12इस लिए मैं उसे बड़ों में हिस्सा दूँगा, और वह ज़ोरावरों के साथ लूट का माल तक़्सीम करेगा। क्यूँकि उस ने अपनी जान को मौत के हवाले कर दिया, और उसे मुज्रिमों में शुमार किया गया। हाँ, उस ने बहुतों का गुनाह उठा कर दूर कर दिया और मुज्रिमों की शफ़ाअत की।