मलाक़ी 4
1रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है, “यक़ीनन वह दिन आने वाला है जब मेरा ग़ज़ब भड़कती भट्टी की तरह नाज़िल हो कर हर गुस्ताख़ और बेदीन शख़्स को भूसे की तरह भस्म कर देगा। वह जड़ से ले कर शाख़ तक मिट जाएँगे।
2लेकिन तुम पर जो मेरे नाम का ख़ौफ़ मानते हो रास्ती का सूरज तुलू होगा, और उस के परों तले शिफ़ा होगी। तब तुम बाहर निकल कर खुले छोड़े हुए बछड़ों की तरह ख़ुशी से कूदते फाँदते फिरोगे। 3जिस दिन मैं यह कुछ करूँगा उस दिन तुम बेदीनों को यूँ कुचल डालोगे कि वह पाँओ तले की ख़ाक बन जाएँगे।” यह रब्ब-उल-अफ़्वाज का फ़रमान है।
4“मेरे ख़ादिम मूसा की शरीअत को याद रखो यानी वह तमाम अह्काम और हिदायात जो मैं ने उसे होरिब यानी सीना पहाड़ पर इस्राईली क़ौम के लिए दी थीं। 5रब्ब के उस अज़ीम और हौलनाक दिन से पहले मैं तुम्हारे पास इल्यास नबी को भेजूँगा। 6जब वह आएगा तो बाप का दिल बेटे और बेटे का दिल बाप की तरफ़ माइल करेगा ताकि मैं आ कर मुल्क को अपने लिए मख़्सूस करके नेस्त-ओ-नाबूद न करूँ।”