ज़करियाह 10
रब्ब ही मदद कर सकता है
1बहार के मौसम में रब्ब से बारिश माँगो। क्यूँकि वही घने बादल बनाता है, वही बारिश बरसा कर हर एक को खेत की हरियाली मुहय्या करता है। 2तुम्हारे घरों के बुत फ़रेब देते, तुम्हारे ग़ैबदान झूटी रोया देखते और फ़रेबदिह ख़्वाब सुनाते हैं। उन की तसल्ली अबस है। इसी लिए क़ौम को भेड़-बक्रियों की तरह यहाँ से चला जाना पड़ा। गल्लाबान नहीं है, इस लिए वह मुसीबत में उलझे रहते हैं।
रब्ब अपनी क़ौम को वापस लाएगा
3रब्ब फ़रमाता है, “मेरी क़ौम के गल्लाबानों पर मेरा ग़ज़ब भड़क उठा है, और जो बक्रे उस की राहनुमाई कर रहे हैं उन्हें मैं सज़ा दूँगा। क्यूँकि रब्ब-उल-अफ़्वाज अपने रेवड़ यहूदाह के घराने की देख-भाल करेगा, उसे जंगी घोड़े जैसा शानदार बना देगा। 4यहूदाह से कोने का बुन्यादी पत्थर, मेख़, जंग की कमान और तमाम हुक्मरान निकल आएँगे। 5सब सूर्मे की मानिन्द होंगे जो लड़ते वक़्त दुश्मन को गली के कचरे में कुचल देंगे। रब्ब-उल-अफ़्वाज उन के साथ होगा, इस लिए वह लड़ कर ग़ालिब आएँगे। मुख़ालिफ़ घुड़सवारों की बड़ी रुस्वाई होगी।
6मैं यहूदाह के घराने को तक़वियत दूँगा, यूसुफ़ के घराने को छुटकारा दूँगा, हाँ उन पर रहम करके उन्हें दुबारा वतन में बसा दूँगा। तब उन की हालत से पता नहीं चलेगा कि मैं ने कभी उन्हें रद्द किया था। क्यूँकि मैं रब्ब उन का ख़ुदा हूँ, मैं ही उन की सुनूँगा। 7इफ़्राईम के अफ़राद सूर्मे से बन जाएँगे, वह यूँ ख़ुश हो जाएँगे जिस तरह दिल मै पीने से ख़ुश हो जाता है। उन के बच्चे यह देख कर बाग़ बाग़ हो जाएँगे, उन के दिल रब्ब की ख़ुशी मनाएँगे।
8मैं सीटी बजा कर उन्हें जमा करूँगा, क्यूँकि मैं ने फ़िद्या दे कर उन्हें आज़ाद कर दिया है। तब वह पहले की तरह बेशुमार हो जाएँगे। 9मैं उन्हें बीज की तरह मुख़्तलिफ़ क़ौमों में बो कर मुन्तशिर कर दूँगा, लेकिन दूरदराज़ इलाक़ों में वह मुझे याद करेंगे। और एक दिन वह अपनी औलाद समेत बच कर वापस आएँगे। 10मैं उन्हें मिस्र से वापस लाऊँगा, असूर से इकट्ठा करूँगा। मैं उन्हें जिलिआद और लुब्नान में लाऊँगा, तो भी उन के लिए जगह काफ़ी नहीं होगी। 11जब वह मुसीबत के समुन्दर में से गुज़रेंगे तो रब्ब मौजों को यूँ मारेगा कि सब कुछ पानी की गहराइयों तक ख़ुश्क हो जाएगा। असूर का फ़ख़र ख़ाक में मिल जाएगा, और मिस्र का शाही असा दूर हो जाएगा। 12मैं अपनी क़ौम को रब्ब में तक़वियत दूँगा, और वह उस का ही नाम ले कर ज़िन्दगी गुज़ारेंगे।” यह रब्ब का फ़रमान है।